जम्मू-कश्मीर को लेकर अब तक कई तरह की कहानियां पर्दे पर आ चुकी हैं। सबसे ज्यादा फोकस इस बात पर रहा है कि कैसे आतंकवाद ने कश्मीर में अपनी जड़ें जमाई। लेकिन अब एक फिल्म आई है, जिसमें 90 के दशक में कश्मीरी पंडितों को राज्य से बेघर होने की कहानी दिखाई गई है। कश्मीरी पंडितों के इस दर्द को अब तक बड़े पर्दे पर देखने का मौका बहुत कम मिला है, लेकिन अब निर्देशक विवेक अग्निहोत्री इस कहानी को 'द कश्मीर फाइल्स' में लेकर आए हैं। यह 2 घंटे 40 मिनट की फिल्म आपको स्तब्ध कर देंगी। फिल्म 1990 में कश्मीरी पंडितों के साथ हुई उस घटना को बयां करती है, जिसने उन्हें आतंकवादियों द्वारा अपने ही घर से भागने पर मजबूर कर दिया था। फिल्म देश के शीर्ष कॉलेज की नीति, मीडिया और सरकार पर कटाक्ष करती है, इस फिल्म के माध्यम से विवेक 30 साल से पीड़ित कश्मीरी पंडितों को न्याय दिलाने की बात करते हैं।
फिल्म की कहानी
द कश्मीर फाइल्स टाइम ट्रेवल का काम करती है, जिसमें 1990 के समय को वर्तमान पीढ़ी से जोड़ने का काम किया गया है। दिल्ली में पढ़ने वाला एक छात्र अपने दादा की अस्थियां विसर्जित करने कश्मीर जाता है। यहीं पर वह दादा के दोस्तों से मिलता है और फिर पुरानी कहानियां सामने आती हैं कि कैसे कश्मीरी पंडितों को उनके घरों से निकाल दिया गया। जिसमें दिखाया गया है कि कैसे 1990 के समय में चीजें फैलीं और कश्मीरी पंडितों को भगा दिया गया। सरकारी तंत्र का एक पहलू दिखाते हुए इस दलदल में दोस्ती पर तंज कसा गया है।
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