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Tuesday 5 April 2022

हरियाणा विधानसभा ने एसवाईएल मुद्दे पर सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित किया, पंजाब से हिंदी भाषी क्षेत्रों की भी मांग की

Haryana Assembly passes unanimous resolution on SYL issue

चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा के विशेष सत्र में सतलुज यमुना लिंक नहर(एसवाईएल) के लिए एक प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया है। प्रस्ताव में पंजाब से नदी का पानी मांगा गया है। हांसी-बुटाना नहर के लिए भी अनुमति मांगी गई है। वहीं, पंजाब से हिंदी भाषी क्षेत्रों के लिए भी अनुरोध किया गया है। चंडीगढ़ पर पंजाब के प्रस्ताव पर चिंता जताई गई है। उन्होंने केंद्र से उपयुक्त समाधान निकालने की भी अपील की। बीबीएमबी को लेकर केंद्र के फैसले पर हरियाणा सरकार ने आपत्ति जताई है। सीएम मनोहर लाल ने कहा कि शाह आयोग के मुताबिक खरड़ हरियाणा का हिस्सा था, और चंडीगढ़ भी खरड़ में शामिल था। इसलिए चंडीगढ़ पर हरियाणा का अधिकार है। 9 जून 1966 को चंडीगढ़ को केंद्र शासित प्रदेश और दोनों राज्यों की राजधानी बनाया गया था।
उल्लेखनीय है कि इंदिरा गांधी पुरस्कार में चंडीगढ़ को पंजाब को दिए जाने की बात कही गई थी। एसवाईएल पर 29 फरवरी 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के पक्ष में फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने पंजाब और हरियाणा से इस मुद्दे को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाने को कहा था। अगस्त 2020 में पंजाब को पानी के लिए कई बार बातचीत के लिए बुलाया गया लेकिन वह नहीं आया।
दरअसल, आम आदमी पार्टी की पंजाब की मान सरकार ने 1 अप्रैल को पंजाब विधानसभा में चंडीगढ़ को पंजाब को सौंपने का प्रस्ताव पास किया था। मान सरकार को कांग्रेस की पंजाब इकाई और अकाली दल का भी समर्थन मिला है। वहीं कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने ट्वीट कर कहा था कि पंजाब के 27 गांवों को तोड़कर बनाया गया चंडीगढ़ पंजाब का है, और रहेगा...

केंद्र सरकार की अधिसूचना के बाद चंडीगढ़ को लेकर उठा विवाद

गौरतलब है कि यह ताजा विवाद केंद्र सरकार की उस अधिसूचना के बाद पैदा हुआ था, जिसमें चंडीगढ़ के 22,000 कर्मचारियों को केंद्रीय कर्मचारियों की श्रेणी में रखा गया था। मान सरकार ने तब चंडीगढ़ पर दावा किया। उधर, हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने इसे पंजाब सरकार की साजिश करार दिया। यह उल्लेख किया जा सकता है कि चंडीगढ़ वर्तमान में पंजाब और हरियाणा दोनों की राजधानी होने के साथ-साथ एक केंद्र शासित प्रदेश भी है। अपने अधिकार को लेकर दोनों राज्यों के बीच विवाद काफी पुराना है लेकिन इस बार इसने एक नया रंग ले लिया है।

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