जालंधर: फ़सलों के अवशेष जलाने के मामलों में सख़्ती करते ज़िला प्रशासन ने फील्ड स्टाफ की पुष्टि करने उपरांत इस प्रकार के 54 मामलों में 1,35,000 रुपए वातावरण मुआवज़ा लगाया गया है, जो कि राज्य भर में सबसे अधिक है। ज़िले में गेहूँ की पराली सहित फ़सलों के अवशेष जलाने के मामलों की समीक्षा दौरान ज़िला प्रशासकीय कंपलैक्स में बैठक की अध्यक्षता करते डिप्टी कमिशनर घनश्याम थोरी ने बताया कि सब डिविज़न फिल्लौर में सामने आए 30 मामलों में 75,000 रुपए वातावरण मुआवज़ा लगाया गया है जबकि शाहकोट के 18 मामलों में 45000, नदोकर के 2 मामलों में 5000, जालंधर -1 के 4 मामलों में 10000 रुपए वातावरण मुआवज़ा लगाया गया है।
डिप्टी कमिशनर ने आगे जानकारी देते बताया कि ज़िला जालंधर खेतों में आग लगने की घटनाओं में राज्य भर में 17वें स्थान है। उन्होंने बताया कि राज्य में अब तक आग लगने की 8271 घटनाएँ सामने आ चुकी है, जिनमें से 172 मामले जालंधर में रिपोर्ट किये गए है। उन्होंने बताया कि फील्ड स्टाफ की तरफ से 144 मामलों में पड़ताल के लिए मौके का दौरा किया गया, जो कि राज्य भर में सबसे अधिक है। उन्होंने कहा कि हालाँकि पिछले साल के मुकाबले आग की घटनाए अधिक हुई है परन्तु गेहूँ की अग्रिम कटाई कारण पूरे राज्य में यही रुझान है। उन्होंने आधिकारियों को फ़सलों के अवशेष जलाने के हर मामले की मौके पर जा कर पुष्टि को यकीनी बनाते हुए ऐसी घटनाओ पर सख़्त नज़र रखने के आदेश दिए ,जिससे इस बुरे रुझान को रोका जा सके। उन्होंने सम्बन्धित विभागों के आधिकारियों को कहा कि किसानों को फ़सल के अवशेष जलाने से रोकने के लिए जागरूकता अभियान में और तेज़ी लाई जाए।
डिप्टी कमिशनर ने किसानों को गेहूँ के पराली और अन्य फ़सलों के अवशेष को आग न लाने की अपील करते कहा कि इसके साथ पैदा होने वाले धुएं कारण जहाँ मानवीय सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है वहीं मिट्टी की उपजाऊ शक्ति का भी नुक्सान होता है। इस मौके अतिरिक्त डिप्टी कमिशनर (शहरी विकास) आशिका जैन, अतिरिक्त डिप्टी कमिशनर (विकास) वरिन्दर पाल सिंह बाजवा, सहित एस.डी.म., एस.डी.ओ. बचन लाल और अन्य अधिकारी मौजूद थे।
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