भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन(DRDO) मिसाइल की तरह दिखने वाला सुपरसोनिक ड्रोन बना रहा है। यह समुद्र से चिपक कर उड़ जाएगा। ऊंचाई कम होने के कारण इसे राडार में पकड़ना मुश्किल होगा। साथ ही इसे निशाना बनाना भी मुश्किल होगा। यह 2940 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भरेगा। इसका नाम सुपरसोनिक टार्गेट स्टार है। इसका उद्देश्य भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना के लड़ाकू जेट, युद्धपोतों और वायु रक्षा प्रणालियों को निशाना बनाने का अभ्यास करना है।
STAR सुपरसोनिक ड्रोन के पहले चरण में एक बूस्टर है। दूसरा एक तरल ईंधन रैमजेट इंजन द्वारा संचालित है। जिससे यह समुद्र से करीब 12 फीट ऊपर ध्वनि की दुगुनी गति से उड़ेगा। ये ड्रोन ऊंचाई पर उड़ने वाली क्रूज मिसाइलों की नकल करने में माहिर होंगे। आमतौर पर ऐसी क्रूज मिसाइलें 30 हजार फीट की ऊंचाई से सीधे युद्धपोत पर हमला करती हैं। उन्हें मारने की प्रैक्टिस के लिए यह ड्रोन जरूरी है। नौसैनिक युद्धपोतों के सैनिकों को प्रशिक्षित करने के लिए स्टार बनाया जा रहा है। इससे आधुनिक एंटी-शिप मिसाइलों से बचने के अभ्यास में मदद मिलेगी। खासतौर पर चीन और फ्रेंच एक्सोसेट मिसाइलों द्वारा बनाई गई एंटी-शिप मिसाइलों के हमले से बचने में भी मदद मिलेगी।
DRDO वर्तमान में STAR सुपरसोनिक के विंड टनल टेस्टिंग में लगा हुआ है। इस टेस्टिंग के बाद इस ड्रोन के डिजाइन में जरूरी बदलाव किए जाएंगे। माना जा रहा है कि यह ड्रोन 2023-24 में बनकर तैयार हो जाएगा। फिर इसके ट्रायल होंगे।
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