आषाढ़ माह में पड़ने वाली अमावस्या को हलाहारी अमावस्या कहा जाता है। हिंदू धर्म में हलाहारी अमावस्या का विशेष महत्व बताया गया है। कई जगहों पर इसे आषाढ़ी अमावस्या भी कहते हैं। इस दिन पवित्र नदी या सरोवर में स्नान कर पितरों को प्रणाम करने की परंपरा है। आइए जानते हैं हलहरी अमावस्या का महत्व और शुभ मुहूर्त।
हलाहारी अमावस्या का महत्व
हलाहारी अमावस्या पर पितरों के दान-स्नान और श्राद्ध का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन धरती माता की भी पूजा की जाती है, इसलिए यह दिन किसानों के लिए भी बेहद खास माना जाता है। इस दिन हल की पूजा की जाती है और नए पौधे लगाना शुभ माना जाता है। इस दिन स्नान, पितृ तर्पण और अर्घ्य देने से भी भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।
हलाहारी अमावस्या कब है?
अमावस्या तिथि 28 जून को सुबह 5.53 बजे से शुरू होकर 29 जून को सुबह 8.23 बजे तक चलेगी। उड़िया तिथि के रूप में मनाई जा रही हलहरी अमावस्या 28 जून को ही मनाई जाएगी। हालांकि 29 जून की सुबह दान-श्रद्धा का कार्य किया जा सकता है।
हलाहारी अमावस्या का शुभ मुहूर्त
हलाहारी अमावस्या के दिन सुबह 9.10 बजे से 10.58 बजे तक अमृत काल रहेगा। इसके बाद अभिजीत मुहूर्त सुबह 11.34 से 12.29 बजे तक रहेगा। इन दोनों मुहूर्तों को पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। फिर शाम को 6:39 मिनट से 07.03 मिनट तक पूजन का शुभ मुहूर्त रहेगा।
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