शनि चालिसा
शिव पुराण में वर्णित है कि अयोध्या के राजा दशरथ ने शनिदेव को शनि चालीसा से प्रसन्न किया था। शनि साढ़ेसाती और शनि महादशा के दौरान ज्योतिषी शनि चालीसा का पाठ करना अतिशुभ फलदायक रहता है। इसके नियमित पाठ से शानि संबंधित सभी दोषों का निराकरण होता है।
शनिवज्रपंजर कवचम्
शनि साढ़ेसाती की अवधि में शनिवज्ज्रपंजर कवचम का पाठ परम रक्षक का कार्य करता है। यह मन के अवसाद और अकर्मण्यता राज्य से निपटने में मदद करता है। कार्यक्षेत्र में सफलता, पढ़ाई और जीवन के अन्य क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करने के लिए यह एक प्रामाणिक शनि कवच है।
शनि स्तोत्रम्
शनि स्तोत्रम स्त्रोत का पाठ करने से शनिदेव की साढ़ेसाती व ढैया में मानसिक शांति, सुरक्षा के साथ भाग्य व उन्नति का लाभ प्राप्त होता है। यह स्तोत्र शनिदेव का पवित्र आशीर्वाद प्राप्त करने का एक सटीक माध्यम है।
शनि माहात्म्य
प्रातःकाल में शनि पूजन दर्शन के पश्चात नित्य शनि माहात्म्य का पाठ शनि दशा से गुजर रहे व्यक्तियों को अवश्य करना चाहिए। यह पाठ शनि देव के प्रकोप को शांत करता है और साढ़ेसाती या ढैय्या जैसी दशा के समय इस पाठ से कष्ट की अनुभूति नहीं होती है, साथ ही शनिदेव की प्रसन्नता और कृपा प्राप्त होती है।
शनि प्रार्थना
शनि देव को खुश कर इंसान हर संकट से बच सकता है। शनि भगवान की अनुकूलता पाने के लिए प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर अपनी दैनिक पूजा अर्चना-ईष्ट ध्यान करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए तथा नित्य पूजा करने के पश्चात शनि प्रार्थना करनी चाहिए।
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