मद्रास regiment भारतीय सेना की सबसे पुरानी पैदल सेना regiment है। इसकी स्थापना 1750 में हुई थी। इसका गौरवपूर्ण इतिहास शौर्य और वीरता का है। इसका गठन British east India company की फौज के तहत किया गया था। इस regiment ने British भारतीय सेना और आज़ादी के बाद की भारतीय सेना दोनों के साथ operation में हिस्सा लिया है। मद्रास regiment का regimental center तमिलनाडु के Willington में है। इसकी कमान ब्रिगेडियर rank के एक अधिकारी के पास रहती है। मद्रास regiment का युद्ध का नारा है “वीरा मद्रासी आदि कोलू आदि कोलू” इसका मतलब यह है “बहादुर मद्रासी हमला करो और मार डालो, हमला करो और मार डालो” इस regiment का प्रतीक चिन्न एक हाथी है, जिसे दो पार की हुई तलवारों के साथ एक ढाल पर रखा गया है। हाथी के सात गुणों, साहस, धीरज, दूरदर्शिता, ताकत, आत्मविश्वास, आज्ञाकारीता और वफादारी इस regiment के DNA में गहराई से समाहित है। मद्रास regiment को Thumbis के नाम से भी जाना जाता है। इसकी सैनिक अपना विशिष्ट black pum pom head गेर पहनते हैं। अपने शानदार 265 साल के इतिहास में मद्रास regiment ने वीरता के लिए ढेरों पुरस्कार अर्जित किए हैं। मद्रास regiment को पैंतालीस युद्ध सम्मान और चौदह theater सम्मान मिल चुके हैं। उसकी वीरता पुरस्कारों में एक अशोक चक्र, पांच महावीर चक्र, ग्यारह कीर्ति चक्र, छत्तीस वीर चक्र, 49 शौर्य चक्र और कई अन्य वीरता और विशिष्ट पुरस्कार शामिल है।
इसके अलावा उसे ग्यारह COS unit प्रशस्त्री पत्र बावन GOC NC unit प्रशंसा पांच संयुक्त राष्ट्र बल कमान प्रशस्ति पत्र मिल चुके हैं। लंबा युद्ध का इतिहास रहा है, मद्रास regiment विभिन्न लड़ाईयों में शामिल रही है। जिनमें दोनों विश्व युद्ध 1947-48 का भारत पाक युद्ध 1962 का चीनी आक्रमण 1965 और 1971 के भारत पाक युद्ध operation पवन, operation मेघदूत और कांगो, लेबनान और Sudan में कई संयुक्त राष्ट्र शांति mission शामिल हैं। regiments में वर्तमान में उन्नतीस बटालियन है। दो अर्जुन award भी मिले हैं, मद्रास regiment के सैनिकों ने ना केवल युद्ध में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है बल्कि साहसिक और खेलों के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है, उसके सैनिकों ने दो अर्जुन पुरस्कार अर्जित किए हैं। पांच Olympic खेलों में देश का प्रतिनिधित्व किया है। मद्रास regiment में अधिकतर दक्षिण भारतीय राज्यों के रहने वाले लोगों को ही सैनिक बनाया जाता है। ताकि वह अपने ऐतिहासिक जड़ों को बनाए रख पाएं।
No comments:
Post a Comment