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Saturday 24 August 2024

Right to Disconnect: ऑफिस के बाद काम करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता

Right to Disconnect

यह कानून कहता है कि office hours के बाद आपकी company या आपके boss और आपके manager आपसे कोई काम नहीं करा सकते। अगर आपकी shift ख़त्म हो चुकी है, तो इसके बाद आपको अपनी company के messages और emails को पढ़कर उनका जवाब देने की आवश्यकता नहीं है और ना ही आपको इसके लिए कोई भी company या खुद सरकार मजबूर कर सकती है। यानी एक बार आप अपनी shift ख़त्म करके दफ्तर से बाहर निकल गए, तो आपकी company, आपके boss, आपके manager या आपके seniors आपको phone नहीं कर सकते, आपको mail नहीं कर सकते और आपसे किसी भी तरह का संपर्क स्थापित नहीं कर सकते और अगर करते भी हैं, तो आप उसका जवाब देने के लिए बाध्य नहीं है। अब कोई भी आपका boss आपसे यह नहीं कह सकता phone करके, जब आप घर पहुंच चुके हैं कि अभी आप वापस आ जाइए।
यानी आप तभी तक किसी भी company के कर्मचारी रहते हैं जब तक आप उस company में अपनी shift के दौरान काम कर रहे हैं। लेकिन इसके बाद यह आपका मौलिक अधिकार है कि आप उस काम से, उस company से, अपने दफ्तर से खुद को disconnect कर लें और अपनी नौकरी की ज़िम्मेदारी से आप उसके बाद मुक्त हो जाते हैं। Australia में यह कानून 26 August से लागू होगा। यानी अब से दो दिन के बाद और यह कानून कहता है कि हर कर्मचारी को यह पूरा अधिकार होना चाहिए कि वह अपने काम के घंटों के बाद दफ्तर से आए phone calls या emails का जवाब ना दे और किसी भी कर्मचारी का इस आधार पर आकलन नहीं होना चाहिए, कि उसने अपने shift के बाद virtual meetings में हिस्सा क्यों नहीं लिया, क्योंकि आजकल work from home भी चल रहा है। Europe के कई देशों में ऐसा कानून पहले से ही है। हमारे देश में भी साल 2018 में इस तरह का bill संसद में आया था। हालांकि यह private member bill था जिस पर कोई चर्चा तब नहीं हुई थी।
आजकल नौकरियों में कितनी ही बार ऐसा होता है कि आपका काम shift से भी आगे चला जाता है। आपकी shift समाप्त हो चुकी है लेकिन फिर भी आप दफ्तर में हैं या बाहर जहां भी आप हैं आप अपनी shift के बाद भी काम कर रहे हैं, overtime कर रहे हैं। यहां तक कि ज़्यादातर कंपनियां और वहां काम करने वाले boss यही मानते हैं कि आप अपनी shift के बाद भी उनके काम के लिए हमेशा उपलब्ध रहेंगे और उन्हें आप कभी मना नहीं करेंगे। चाहे वो कभी भी किसी भी virtual meeting के लिए आपको बुला सकते हैं। कभी भी कोई email आपको भेज सकते हैं जिसका जवाब आपको देना होगा। उस email में कभी भी आपसे कोई data या आपसे कोई जानकारी मांगी जा सकती है जो आपको उपलब्ध करानी है। कोई भी आपसे कह सकता है कि यह mail है और अब आप एक जल्दी से एक presentation बनाकर हमें अभी भेजिए और वह आपको उसी समय सब कुछ करना होगा। इस वजह से अब कई लोगों के लिए दफ्तर और घर के बीच एक संतुलन बनाना बहुत मुश्किल हो गया है। आप में से बहुत सारे लोग ऐसे होंगे जो दफ्तर के बाद जब घर पहुंचते हैं, तो भी उनका दफ्तर का काम चलता रहता है। खासतौर पर जो बहुत सारी महिलाएं हैं, वह अक्सर यह शिकायत भी करती होंगी अपने पतियों से और आजकल जो professional महिलाएं हैं, उनके साथ भी यही होता होगा।
इसमें पुरुष और महिलाओं के बीच कोई भेदभाव नहीं, लेकिन बहुत सारे लोग अब ऐसे हैं, जो असल में अपने घर में रहते हुए भी सिर्फ दफ्तर से ही जुड़े रहते हैं, हर समय मानसिक रूप से और घर में भी दफ्तर के लिए ही काम करते रहते हैं। हर वक्त उनका laptop खुला रहता है। COVID के बाद दुनिया में work from home का culture बहुत तेज़ी से बढ़ा। पहले आपने देखा होगा कि आपके परिवार के लोग आपसे हमेशा शिकायत भरे लहजे में कहते होंगे कि दफ्तर का काम दफ्तर में छोड़ कर आया करो, दफ्तर का काम घर में मत लाया करो, लेकिन जब पूरा का पूरा दफ्तर ही आपके घर में shift हो जाए और उसे work from home कहने लगे, तब आप क्या करेंगे? Work from home की वजह से लोगों के काम के जो घंटे हैं वह बहुत बढ़ गए।
कोई shift का जो time है वह बचा नहीं। दफ्तर को लगता है कि आप हर समय उनके लिए उपलब्ध हैं, जिससे आपकी निजी ज़िंदगी और पारिवारिक ज़िंदगी ख़राब हो रही है और एक दिलचस्प जानकारी यह है कि भारत में ज़्यादातर लोग दफ्तर में ज़्यादा घंटे काम करने में और छुट्टी वाले दिन भी office जाने में गर्व महसूस करते हैं और उन्हें लगता है कि ज़्यादा काम ही उनकी तरक्की की सबसे बड़ी वजह बनेगा। अपनी loyalty दिखाने का, अपना competence दिखाने का, सबसे बड़ा तरीका हमारे देश में लोग सोचते हैं कि वह जितना ज़्यादा अपनी shift से काम बाहर जाकर काम करेंगे, जितना Saturday, Sunday को भी काम करेंगे और जितना अपने boss को दिखाएंगे कि वह हर समय उपलब्ध है, उतनी ही ज़्यादा promotion होगी। जबकि ऐसा नहीं है। एक study कहती है कि तय घंटे से ज़्यादा काम करने पर कोई भी व्यक्ति productive नहीं रहता, यानी आप वैसे चाहें तो बारह पंद्रह घंटे रोज़ काम कर सकते हैं, लेकिन आपकी productivity ख़राब हो जाएगी।
आपने कई बार लोगों को कहते सुना होगा कि वह काम के बोझ के मारे हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह काम का बोझ पूरी दुनिया में हर साल करीब 19 लाख लोगों की मौत का कारण वन रहा है। ज़्यादा काम करने से भी लोगों की मौत हो रही है और यह बात विश्व स्वास्थ्य संगठन और international member labor organization की एक study में पता चली। इस study के मुताबिक वर्ष 2016 में पूरी दुनिया में 19 लाख लोग काम के दौरान पैदा होने वाली परेशानियों की वजह से मर गए। इनमें से करीब साढ़े सात लाख लोगों की मौत heart attack से हुई, करीब साढ़े चार लाख लोगों की मौत दफ्तर में होने वाले वायु प्रदूषण की वजह से हो गई। जबकि नौकरी के दौरान होने वाली दुर्घटनाओं की वजह से भी साढ़े तीन लाख लोग मारे गए।
इन 19 लाख मौतों में से करीब साढ़े सात लाख मौतों के पीछे ज़रूरत से ज़्यादा काम का दबाव और long working hours को माना गया है। तो आज हम आपसे यही कहना चाहेंगे कि अपने दफ्तर और अपने घर के बीच एक संतुलन बनाकर रखिए। अपने productivity को, अपने योगदान को, इतना बढ़ाइए अपने दफ्तर में, अपने कौशल को इतना बढ़ाइए अपने दफ्तर में, अपने कौशल को इतना ज़्यादा अच्छा बनाइए, अपने skills को इतना ज़्यादा sharp कीजिए कि आपका दफ्तर आपकी company अगर आप आठ नौ घंटे की भी shift करते हैं, उसी में आप इतना काम करके उन्हें दे दें कि वो इसी से खुश रहें और आप अपने दफ्तर में अपनी शर्तों के साथ काम कर सकें, आप यह कह सकें कि दफ्तर के बाद एक बार अगर मैं घर आ गया तो मुझे phone ना कीजिए और मुझे emails करके मुझसे कोई जानकारी या data भी मत मानिए। बहुत सारे देशों में कानून वन चुके हैं। अब हो सकता है कि भारत में भी बहुत जल्द ऐसा कानून आए, हमारे देश के सांसदों को इसके बारे में सोचना चाहिए कि वह एक ऐसा कानून, एक ऐसा bill संसद में लेकर आएं।

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