हाल ही में भारतीय सेना ने अरुणाचल प्रदेश में सैन्य अभ्यास 'पूर्वी प्रहार' की शुरुआत की है, जो 10 नवंबर से लेकर 18 नवंबर 2024 तक चलेगा। इस अभ्यास में भारत की तीनों सेनाएं:- थल सेना, वायु सेना, और नौसेना भाग ले रही हैं। यह एक संयुक्त सैन्य अभ्यास है, जिसका उद्देश्य तीनों सशस्त्र बलों के बीच समन्वय और संयुक्त संचालन क्षमताओं का मूल्यांकन करना है।
'पूर्वी प्रहार' का उद्देश्य
'पूर्वी प्रहार' का मुख्य उद्देश्य भारतीय सेनाओं के बीच सहयोग को और मजबूत करना और युद्ध की स्थिति में बेहतर समन्वय करना है। इस अभ्यास में अत्याधुनिक सैन्य प्लेटफार्मों और प्रणालियों की एक विस्तृत श्रृंखला का उपयोग किया जा रहा है। इसमें भारत की आधुनिक युद्ध प्रौद्योगिकी और सैन्य क्षमताओं को प्रदर्शित किया जा रहा है, जो न केवल भारतीय सेनाओं की शक्ति को दिखाता है, बल्कि यह हमारी सुरक्षा तैयारियों को भी उजागर करता है।
इस अभ्यास का उद्देश्य मुख्य रूप से यह सुनिश्चित करना है कि जब भी कोई संकट आए, भारत की तीनों सेनाओं के बीच त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया हो सके। इससे न केवल हमारे सैनिकों की प्रशिक्षण क्षमता में वृद्धि होगी, बल्कि यह सुनिश्चित करेगा कि भारतीय सेना हर चुनौती का मुकाबला करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
पूर्वी प्रहार का रणनीतिक महत्व
पूर्वी प्रहार अभ्यास विशेष रूप से चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा(LAC) पर बढ़ते तनाव और सुरक्षा चुनौतियों के संदर्भ में आयोजित किया गया है। भारत की पूर्वी सीमा पर बढ़ते हुए सैन्य दबाव को ध्यान में रखते हुए यह अभ्यास बेहद महत्वपूर्ण है। यह अभ्यास न केवल भारतीय सैन्य बलों की क्षमता को परखने का एक अवसर है, बल्कि यह चीन और अन्य देशों को भी यह स्पष्ट संदेश देता है कि भारत अपनी सुरक्षा को लेकर गंभीर है और किसी भी खतरे का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
भारत की सुरक्षा में एक कदम और
'पूर्वी प्रहार' भारत की सैन्य शक्ति और रणनीतिक तैयारियों को नई ऊँचाई पर ले जाता है। यह अभ्यास भारतीय सेना के समग्र युद्ध कौशल को परीक्षण में डालता है और साथ ही यह सुनिश्चित करता है कि तीनों सशस्त्र बल थल सेना, वायु सेना, और नौसेना एक साथ मिलकर किसी भी संकट का मुकाबला कर सकते हैं।
इस अभ्यास के माध्यम से भारत की आधुनिक युद्ध प्रौद्योगिकियों का परीक्षण किया जा रहा है, जिसमें उन्नत सैन्य वाहनों, हथियारों, और ड्रोन का इस्तेमाल हो रहा है। इस तरह के अभ्यास न केवल भारतीय सेना की तकनीकी ताकत को दिखाते हैं, बल्कि यह भी सिद्ध करते हैं कि भारत ने अपनी सुरक्षा के लिए अत्याधुनिक तकनीकी समाधान तैयार किए हैं।
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