क्या आपको भी अक्सर कब्ज की समस्या रहती है? क्या खाने के बाद पेट में भारीपन महसूस होता है? अगर हां, तो यह आपके लिए चेतावनी का संकेत हो सकता है। बार-बार होने वाली कब्ज “कोलन कैंसर” का एक लक्षण हो सकती है। इसे कोलोरेक्टल कैंसर भी कहा जाता है, जो बड़ी आंत या रैक्टम (गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट का आखिरी हिस्सा) में होता है।
अक्सर लोग कोलन कैंसर के शुरुआती संकेतों को नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन अगर इसे समय रहते पहचान लिया जाए, तो इसका इलाज संभव है। आइए जानते हैं इस कैंसर के बारे में और कैसे इससे बचा जा सकता है।
कोलन कैंसर के कारण:
- गलत आहार: हाई फाइबर वाले फूड्स जैसे गेहूं, मक्का, साबुत अनाज, दाल, गाजर और चुकंदर की बजाय, अगर आप ज्यादा जंक और फास्ट फूड्स खाते हैं, तो यह आपकी आंतों के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
- रेड मीट और प्रोसेस्ड मीट: मटन, पोर्क, लैंब, और प्रोसेस्ड मीट में “कार्सिनोजेन्स” होते हैं, जो कोलन कैंसर का कारण बन सकते हैं।
- हाई फैट डाइट: पनीर, बटर, क्रीम, बर्गर, और पिज्जा जैसी चीजें ज्यादा खाने से कब्ज और पेट संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, जिनका इलाज न करने से कोलन कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
- नशे की आदतें: शराब और सिगरेट का सेवन भी कोलन कैंसर का जोखिम बढ़ाता है।
कोलन कैंसर के संकेत:
- वजन का अचानक कम होना
- स्टूल में खून आना
- पेट फूलना और गैस की समस्या
- कमजोरी और थकावट
- उल्टी आना
- लगातार पेट दर्द होना
- आंतों की मूवमेंट में बदलाव
- पेट साफ न होना
कोलन कैंसर से बचने के उपाय:
- फास्ट फूड से परहेज: जंक फूड, स्ट्रीट फूड और प्रोसेस्ड फूड कम खाएं।
- संतुलित आहार लें: विटामिन, मिनरल्स, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर सब्जियां और साबुत अनाज अपनी डाइट में शामिल करें।
- योग और मेडिटेशन करें: मानसिक तनाव को कम करने के लिए योग और मेडिटेशन को अपनी दिनचर्या में शामिल करें।
- कब्ज की समस्या को न इग्नोर करें: कब्ज के इलाज में देरी न करें, क्योंकि यह आंतों के कैंसर का संकेत हो सकता है।
- पानी पिएं: दिनभर में खूब पानी पिएं और नारियल पानी और ताजे जूस भी पिएं।
- नशे से बचें: शराब, सिगरेट और तंबाकू से दूर रहें।
- कोलन कैंसर की स्क्रीनिंग: 45 साल के बाद हर साल कोलन कैंसर की जांच जरूर कराएं।
कोलन कैंसर का इलाज:
कोलन कैंसर का इलाज शुरूआत में पहचानने पर बहुत प्रभावी हो सकता है। मगर, इसके लक्षण जैसे पेट में जलन, एसिडिटी, और अल्सरेटिव कोलाइटिस को लोग अक्सर हल्के में ले लेते हैं। अगर यह कैंसर लास्ट स्टेज पर पहुंच जाए, तो इसके इलाज के लिए डॉक्टर रेडिएशन थैरेपी, कीमोथेरेपी और सर्जरी की सलाह देते हैं। सर्जरी के दौरान लैप्रोस्कोपिक या रोबोटिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
सावधानी बरतें, स्वस्थ रहें, आपको किसी भी स्वास्थ्य समस्या का सामना हो, तो हमेशा विशेषज्ञ से सलाह लें।
नोट: यह जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से परामर्श जरूर लें।
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