11 नवंबर 2024 को, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने न्यायमूर्ति संजीव खन्ना को भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई। यह समारोह राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में आयोजित हुआ था। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने न्यायमूर्ति धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ की जगह ली, जो 10 नवंबर 2024 को सेवानिवृत्त हो गए थे। इस खास मौके पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, पूर्व मुख्य न्यायाधीश धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ और अन्य कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।
भारत के मुख्य न्यायाधीश का कार्यकाल
भारत के संविधान में मुख्य न्यायाधीश या सर्वोच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों के कार्यकाल के बारे में कोई विशेष उल्लेख नहीं किया गया है। हालांकि, संविधान के अनुच्छेद 124(2) के अनुसार, एक न्यायाधीश 65 साल की उम्र में सेवानिवृत्त हो जाता है। मुख्य न्यायाधीश या अन्य न्यायाधीश अपने पद से इस्तीफा देने के लिए राष्ट्रपति को त्याग पत्र दे सकते हैं। यदि संसद विशेष बहुमत से प्रस्ताव पारित करती है, तो राष्ट्रपति उन्हें पद से हटा भी सकते हैं। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना 13 मई 2025 को 65 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होंगे।
भारत में मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति प्रक्रिया
भारत में मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति की प्रक्रिया संविधान द्वारा निर्धारित की गई है। राष्ट्रपति, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों और अन्य उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों से परामर्श करके मुख्य न्यायाधीश का चयन करते हैं। हालांकि, परंपरा के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश को मुख्य न्यायाधीश के पद पर नियुक्त किया जाता है।
इस प्रक्रिया में, केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय पहले मौजूदा मुख्य न्यायाधीश से संपर्क करता है और उनके द्वारा वरिष्ठतम न्यायाधीश का नाम सिफारिश के रूप में प्राप्त करता है। इसके बाद, मंत्रालय यह नाम प्रधानमंत्री को भेजता है, जो फिर राष्ट्रपति से इस नियुक्ति के लिए सलाह लेते हैं और राष्ट्रपति द्वारा एक आधिकारिक अधिसूचना जारी की जाती है।
जस्टिस संजीव खन्ना: परिचय
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का करियर 1983 में नई दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट से वकील के रूप में शुरू हुआ था। 2005 में उन्हें दिल्ली उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश और 2006 में स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। 18 जनवरी 2019 को उन्हें भारत के सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया।
सर्वोच्च न्यायालय और इसके मुख्य न्यायाधीश
भारत का सर्वोच्च न्यायालय 28 जनवरी 1950 को औपचारिक रूप से अस्तित्व में आया था। इससे पहले, संघीय न्यायालय 1935 के भारत सरकार अधिनियम के तहत कार्य कर रहा था। भारत के पहले मुख्य न्यायाधीश हरिलाल जे. कानिया थे।
भारत के 16वें मुख्य न्यायाधीश, यशवंत विष्णु चंद्रचूड़, सबसे लंबे समय तक सेवारत मुख्य न्यायाधीश रहे, जिनका कार्यकाल 7 वर्षों से अधिक(फरवरी 1978 से जुलाई 1985) था। वहीं, भारत के 22वें मुख्य न्यायाधीश कमल नारायण सिंह सबसे कम समय तक सेवा देने वाले मुख्य न्यायाधीश रहे, जिन्होंने सिर्फ 17 दिनों तक इस पद पर कार्य किया(25 नवंबर 1991 से 12 दिसंबर 1991 तक)।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यभार ग्रहण करना भारतीय न्याय व्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है। उनके नेतृत्व में, भारतीय सर्वोच्च न्यायालय न्याय और समानता की दिशा में और मजबूती से कार्य करेगा।
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