CGIAR ने 2030 के लिए लचीली शुष्क भूमि के लिए वैश्विक रणनीति (Global Strategy for Resilient Drylands - GSRD) लॉन्च की है। इस पहल का नेतृत्व दो प्रमुख संस्थान कर रहे हैं:
- ICARDA (शुष्क क्षेत्रों में कृषि अनुसंधान के लिए अंतर्राष्ट्रीय केंद्र)
- ICRISAT (अर्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के लिए अंतर्राष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान)।
यह रणनीति खाद्य सुरक्षा, जैव विविधता संरक्षण, और लचीली आजीविका को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। इसका मुख्य लक्ष्य उन 2.7 बिलियन लोगों की मदद करना है जो शुष्क क्षेत्रों में रहते हैं, खासकर एशिया और अफ्रीका में।
इस पहल की मुख्य बातें:
परामर्श प्रक्रिया:
यह रणनीति रियाद में COP16 सम्मेलन के दौरान शुरू की गई। इसे विभिन्न राष्ट्रीय अनुसंधान संगठनों, सरकारों, निजी क्षेत्र और नागरिक समाज से परामर्श के बाद विकसित किया गया है।
लक्ष्य:
- शुष्क भूमि की स्थिरता बढ़ाना।
- इन क्षेत्रों की विशिष्ट आवश्यकताओं का समाधान करना।
- प्राकृतिक संसाधनों के बेहतर प्रबंधन को प्रोत्साहित करना।
प्रभाव क्षेत्र:
- एशिया और अफ्रीका में रहने वाले लोग।
- सूखे और जलवायु परिवर्तन से प्रभावित क्षेत्रों में आजीविका को मजबूत बनाना।
लचीली शुष्क भूमि क्यों है महत्वपूर्ण?
शुष्क क्षेत्र विश्व की भूमि का करीब 40% हिस्सा हैं। इन क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन, मिट्टी के कटाव और पानी की कमी जैसी समस्याएं आम हैं। CGIAR की यह पहल:
- टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देगी।
- जैव विविधता संरक्षण सुनिश्चित करेगी।
- समुदायों को जलवायु परिवर्तन से लड़ने में सक्षम बनाएगी।
इस रणनीति को सफल बनाने के लिए समुदायों, किसानों, और सरकारों को मिलकर काम करना होगा। प्राकृतिक संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग और स्थायी खेती इसके प्रमुख स्तंभ हैं।
CGIAR की 2030 रणनीति वैश्विक स्तर पर शुष्क क्षेत्रों में विकास और स्थिरता लाने की दिशा में एक अहम कदम है। इससे न केवल खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने में भी मदद मिलेगी।
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