भारत को संयुक्त राष्ट्र के नारकोटिक ड्रग्स आयोग (CND) के 68वें सत्र की अध्यक्षता करने के लिए चुना जाना एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। वियना स्थित संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत शंभू एस कुमारन ने यह जिम्मेदारी संभाल ली है। यह भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव और नशीली दवाओं से जुड़े मुद्दों पर उसकी प्रतिबद्धता को उजागर करता है।
CND क्या है?
CND (Commission on Narcotic Drugs) संयुक्त राष्ट्र के तहत ड्रग्स से संबंधित मुद्दों पर नीति निर्माण के लिए मुख्य निकाय है। यह:
- वैश्विक ड्रग ट्रेंड्स पर नजर रखता है और उनकी निगरानी करता है।
- संतुलित और प्रभावी नीतियों को बढ़ावा देता है ताकि नशीली दवाओं के दुरुपयोग पर नियंत्रण किया जा सके।
- महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय ड्रग सम्मेलनों की देखरेख करता है, जिनका उद्देश्य ड्रग्स से जुड़े अपराध और स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान करना है।
- CND, UN की आर्थिक और सामाजिक परिषद के अंतर्गत कार्य करता है और UNODC (ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय) का प्रबंधन करता है।
भारत की अध्यक्षता का महत्व
- यह पहली बार है जब भारत को CND की अध्यक्षता करने का अवसर मिला है। इसका महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह वैश्विक मंच पर भारत की मजबूत नेतृत्व क्षमता को रेखांकित करता है।
- ड्रग्स के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में भारत का योगदान: भारत ने हमेशा नशीली दवाओं के दुरुपयोग और तस्करी के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है।
- नई नीतियों का मार्गदर्शन: भारत अब वैश्विक स्तर पर संतुलित और समावेशी नीतियों को आगे बढ़ाने में मदद करेगा।
- दुनिया में बढ़ती साख: यह कदम भारत की वैश्विक कूटनीति और जिम्मेदारी को और मजबूत करेगा।
भारत की प्राथमिकताएँ
- अध्यक्षता के दौरान भारत की प्राथमिकताएँ होंगी:
- ड्रग्स की तस्करी पर कड़ा नियंत्रण।
- नशामुक्ति के लिए स्वास्थ्य और पुनर्वास केंद्रों का प्रोत्साहन।
- वैश्विक सहयोग और डेटा साझा करने की प्रक्रियाओं को मजबूत बनाना।
भारत के इस कदम से न केवल वैश्विक ड्रग नीति को दिशा मिलेगी, बल्कि यह देश की अंतरराष्ट्रीय पहचान को भी और मजबूती देगा। CND की अध्यक्षता भारत के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, जहां वह दुनिया को नशीली दवाओं से मुक्त और स्वस्थ बनाने के अपने दृष्टिकोण को साझा कर सकता है।
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