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भारत की पहली स्वदेशी एंटीबायोटिक: नेफिथ्रोमाइसिन (Nafithromycin)

भारत ने चिकित्सा क्षेत्र में एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है। 20 नवंबर 2024 को केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह द्वारा औपचारिक रूप से लॉन्च की गई नेफिथ्रोमाइसिन (Nafithromycin), एक क्रांतिकारी एंटीबायोटिक, अब हमारे देश में उपलब्ध है।
यह एंटीबायोटिक खास तौर पर ड्रग प्रतिरोध न्यूमोनिया और अन्य गंभीर संक्रमणों के इलाज के लिए विकसित की गई है, जिससे न केवल इलाज में सुधार होगा, बल्कि एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (AMR) से निपटने में भी मदद मिलेगी।

मुख्य विशेषताएँ:

  • नवीनतम शोध का परिणाम: यह पिछले 30 वर्षों में वैश्विक स्तर पर विकसित की गई पहली नई एंटीबायोटिक है।
  • सीएबीपी पर प्रभाव: नेफिथ्रोमाइसिन को सामुदायिक-अधिग्रहित जीवाणुजनित निमोनिया (CAP) के इलाज के लिए तैयार किया गया है, जो बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर रोगियों के लिए एक गंभीर खतरा है।
  • 10 गुना अधिक प्रभावी: यह मौजूदा एंटीबायोटिक एजिथ्रोमाइसिन से 10 गुना अधिक प्रभावी है, जिससे संक्रमणों का इलाज तेज और अधिक प्रभावी होता है।
इस नवाचार को बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल (BIRAC) के सहयोग से विकसित किया गया है और इसका विपणन फार्मा कंपनी वोल्कार्ड द्वारा "मिक्राफ" (Miqnaf) ब्रांड नाम से किया जा रहा है।
भारत की चिकित्सा प्रौद्योगिकी में यह कदम ना सिर्फ देश के लिए गर्व की बात है, बल्कि यह विश्व स्तर पर एंटीबायोटिक प्रतिरोध को कम करने में भी सहायक साबित होगा।
नेफिथ्रोमाइसिन का शुभारंभ एक बड़ी उपलब्धि है, जो हमारे देश को न केवल मेडिकल क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगा, बल्कि पूरी दुनिया में भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा।

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