भारतीय नौसेना जल्द ही रूस के कलिनिनग्राद में अपने नए स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट आईएनएस तुशील को कमीशन करने जा रही है। यह कदम भारत की समुद्री सुरक्षा को और मजबूत करेगा। आईएनएस तुशील, प्रोजेक्ट 1135.6 के तहत अपग्रेड किए गए क्रिवाक III-क्लास फ्रिगेट का हिस्सा है। इसका नाम "तुशील" रखा गया है, जिसका अर्थ है "रक्षक कवच", जो नौसेना की सुरक्षा और प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
आईएनएस तुशील की खासियतें:
- आधुनिक डिजाइन: यह जहाज 125 मीटर लंबा है और इसका वजन 3,900 टन है। इसकी स्टेल्थ टेक्नोलॉजी इसे रडार पर पकड़ने में मुश्किल बनाती है।
- स्वदेशी योगदान: जहाज में 26% स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें भारतीय निर्माताओं द्वारा 33 प्रणालियाँ जोड़ी गई हैं।
- समुद्री क्षमता: यह जहाज तेज गति, लंबी दूरी की यात्रा और मिसाइल से लैस होने की क्षमता के कारण दुश्मनों के लिए एक बड़ा खतरा साबित होगा।
भारत-रूस की रणनीतिक साझेदारी
यह फ्रिगेट 2016 के भारत-रूस अनुबंध के तहत बनाया गया है, जिसमें भारत ने रूस से दो अपग्रेडेड फ्रिगेट खरीदने का समझौता किया था। आईएनएस तुशील इस श्रृंखला का सातवां पोत है और जल्द ही इसे भारतीय नौसेना के पश्चिमी बेड़े को सौंपा जाएगा।
भारत की रक्षा क्षमताओं में बढ़ोतरी
आईएनएस तुशील भारत की समुद्री सुरक्षा को नई ऊंचाईयों तक ले जाएगा। यह कदम न केवल हमारी नौसैनिक क्षमताओं को बढ़ाएगा बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता और शांति बनाए रखने में भी मदद करेगा।
इस नए जहाज के जुड़ने से भारतीय नौसेना का बेड़ा और अधिक मजबूत होगा, जिससे देश की सीमाएं पहले से ज्यादा सुरक्षित रहेंगी।
भारत के लिए गर्व का क्षण
आईएनएस तुशील का कमीशन भारत की तकनीकी और सामरिक उपलब्धियों का प्रमाण है। यह देश की रक्षा प्रणाली को नई दिशा देगा और "आत्मनिर्भर भारत" की ओर एक और कदम बढ़ाएगा।
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