असम में पहली गंगा नदी डॉल्फिन को टैग करना वन्यजीव संरक्षण में एक ऐतिहासिक कदम है। यह पहल डॉल्फिन की गतिविधियों को ट्रैक करने और उनकी सुरक्षा को बढ़ाने में मदद करेगी। यह कदम पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के नेतृत्व में और भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII), असम वन विभाग, और आरण्यक के सहयोग से लिया गया है।
गंगा नदी डॉल्फिन का संरक्षण
गंगा नदी डॉल्फिन को IUCN और CITES के तहत लुप्तप्राय प्रजातियों के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। यह प्रजाति भारत, नेपाल और बांग्लादेश में गंगा-ब्रह्मपुत्र-मेघना और कर्णफुली-सांगू नदी प्रणालियों में पाई जाती है। डॉल्फिन के संरक्षण से इन नदी प्रणालियों का पारिस्थितिकी तंत्र बचा रहेगा, जो स्थानीय जैव विविधता के लिए अहम है।
'प्रोजेक्ट डॉल्फिन'
'प्रोजेक्ट डॉल्फिन' एक राष्ट्रीय पहल है जिसका उद्देश्य गंगा नदी डॉल्फिन और अन्य जलीय प्रजातियों का संरक्षण करना है। इसे राष्ट्रीय CAMPA प्राधिकरण द्वारा वित्त पोषित किया गया है और इसका उद्देश्य नदी पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा और स्थायित्व को सुनिश्चित करना है।
इस परियोजना में किस तकनीकी प्रणाली का उपयोग
इस परियोजना में आर्गोस सैटेलाइट सिस्टम के साथ संगत हल्के टैग का उपयोग किया जा रहा है, जो डॉल्फिन की गतिविधि में हस्तक्षेप को कम करता है और डॉल्फिन की ट्रैकिंग को प्रभावी बनाता है। यह प्रणाली वन्यजीवों के संरक्षण कार्यों में बेहद मददगार साबित हो सकती है।
गंगा नदी डॉल्फिन को टैग करने से फायदे
डॉल्फिन को टैग करने से उनकी गतिविधियों का सटीक ट्रैकिंग किया जा सकेगा। इससे उनके प्रवास, स्वास्थ्य, और जीवनशैली को समझने में मदद मिलेगी, जिससे उनके संरक्षण में और सुधार हो सकता है। यह जानकारी वैज्ञानिकों और वन्यजीव संरक्षणकर्ताओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
सरकार की क्या है योजना
सरकार गंगा नदी डॉल्फिन की सुरक्षा के लिए परियोजनाओं जैसे 'प्रोजेक्ट डॉल्फिन' को बढ़ावा दे रही है। इसके तहत तकनीकी समाधानों जैसे सैटेलाइट ट्रैकिंग और डॉल्फिन के आवासों की निगरानी को लागू किया जा रहा है। साथ ही, सरकार डॉल्फिन के संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय समुदायों को भी जागरूक कर रही है।
कौन से संगठन शामिल
असम में गंगा नदी डॉल्फिन को टैग करने के इस प्रयास में भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII), असम वन विभाग, और आरण्यक जैसी संस्थाएं शामिल हैं। साथ ही, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय इस परियोजना का नेतृत्व कर रहा है।
पर्यावरण को करेगा प्रभावित
गंगा नदी डॉल्फिन का संरक्षण नदी पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता बनाए रखने में मदद करेगा। यह जलीय जीवन और नदी की गुणवत्ता को बेहतर करेगा, जिससे स्थानीय पर्यावरण और जल स्रोतों की सेहत पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
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