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Handigodu disease: दुर्लभ लेकिन महत्वपूर्ण हड्डी और जोड़ों का विकार

कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने हाल ही में अधिकारियों को हांडीगोडू रोग का वैज्ञानिक अध्ययन करने का निर्देश दिया है। यह एक दुर्लभ ऑस्टियोआर्थराइटिक विकार है, जो मुख्य रूप से शिमोगा और चिकमगलूर जिलों में पाया जाता है। हांडीगोडू रोग पहली बार हांडीगोडू गांव में देखा गया था, इसलिए इसका नाम इसी गांव के नाम पर रखा गया। यह बीमारी वंशानुगत है और हड्डियों और जोड़ों पर गंभीर प्रभाव डालती है।

क्या है हांडीगोडू रोग?

हांडीगोडू रोग एक अपक्षयी हड्डी और जोड़ों का रोग है, जिसका असर बचपन या किशोरावस्था में ही दिखने लगता है। इसका सीधा असर व्यक्ति की गतिशीलता पर पड़ता है, जिससे चलने-फिरने में कठिनाई होती है। इस रोग के लक्षण धीरे-धीरे बढ़ते हैं और व्यक्ति को कई शारीरिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

प्रमुख लक्षण:

  1. जोड़ों और कूल्हों में गंभीर दर्द
  2. हड्डियों में विकृति
  3. बौनापन (कद का सामान्य से छोटा रह जाना)
  4. चलने में कठिनाई
  5. अत्यधिक कमजोरी

रोग का प्रसार और प्रभाव:

इस बीमारी की खोज 1975 में हुई थी और तब से अब तक लगभग 1,000 लोगों की मौत हो चुकी है। इस रोग का प्रभाव इतना गंभीर है कि यह कई परिवारों को पीढ़ी दर पीढ़ी प्रभावित कर रहा है। इसके लक्षण दक्षिण अफ्रीका में पाए जाने वाले मेसेलेनी जोड़ रोग से मिलते-जुलते हैं।

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