शाम के समय सूर्यास्त के बाद प्रदोषकाल का आरंभ होता है, और इस समय होलिका दहन की परंपरा निभाई जाती है। 13 मार्च 2025 को होलिका दहन का दिन है, जिसमें खास तिथियों और मुहूर्त का महत्व है। इस दिन भद्रा का समय सुबह 10:35 बजे से लेकर रात 11:26 बजे तक रहेगा। पूर्णिमा तिथि 10:35 बजे से शुरू होकर, 14 मार्च को 12:23 बजे तक समाप्त होगी। शास्त्रों के अनुसार, भद्राकाल में होलिका दहन नहीं किया जाता।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त:
द्रिक पंचांग के अनुसार, 13 मार्च की रात 11:26 बजे भद्राकाल समाप्त होगा और उसके बाद होलिका दहन का शुभ मुहूर्त आरंभ होगा। यह मुहूर्त एक घंटा और चार मिनट तक रहेगा, जो रात 12:30 तक समाप्त हो जाएगा।
भद्रा का समय:
भद्राकाल (पूंछ) – शाम 6:57 बजे से 8:14 बजे तक
भद्राकाल (मुख) – शाम 8:14 बजे से 10:22 बजे तक
होलिका दहन विधि:
होलिका दहन से पहले संकल्प लें और अपने देश, काल एवं नाम गोत्र का उच्चारण करें। इसके बाद, भगवान श्रीगणेश और भक्त प्रहलाद का ध्यान करें। होलिका के पास पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठें और कच्चे सूत से होलिका के चारों ओर तीन या सात परिक्रमा करते हुए उसे लपेटें। फिर होलिका में फूल, माला, अक्षत, चंदन, साबुत हल्दी, गुलाल, पांच प्रकार के अनाज, गेहूं की बालियां आदि अर्पित करें।
घर में बने मिष्ठान और देसी घी की अठावरी का भोग अर्पित करके जल अर्पित करें और होलिका तथा भक्त प्रहलाद की जय का उद्घोष करें। पूजा के बाद हाथ में शुद्ध जल का लोटा लेकर परिक्रमा कर अर्घ्य दें। होलिका में आहुति के लिए कच्चे आम, नारियल, भुट्टे, सप्तधान्य और नई फसल का हिस्सा अर्पित करें।
उपाय:
होलिका दहन से पहले सभी घरवालों को हल्दी और चावल का उबटन कराएं। फिर उस उबटन को होलिका की अग्नि में डालें। इसके बाद होलिका की अग्नि के चारों ओर परिक्रमा करें, जिससे पाप, ताप और संताप समाप्त होते हैं।
इस पावन अवसर पर होलिका दहन से जुड़े इन विधियों और उपायों को अपनाकर आप अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का स्वागत कर सकते हैं।
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