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कम लागत, ज्यादा मुनाफा: जालंधर में किसानों को सिखाई गई नई तकनीकें

Smart Farming

जालंधर: बागवानी विभाग द्वारा सब्जी उत्कृष्टता केंद्र करतारपुर में सब्जियों की सुरक्षित खेती पर तीन दिवसीय किसान प्रशिक्षण कोर्स आज संपन्न हुआ। डायरेक्टर हॉर्टिकल्चर शैलेन्द्र कौर के निर्देशों पर करवाए गए इस कोर्स के तीसरे और आखिरी दिन डॉ. नरिंदर पाल कलसी, डिप्टी डायरेक्टर हॉर्टिकल्चर, जालंधर विशेष तौर पर शामिल हुए।
अपने संबोधन में डॉ. कलसी ने कहा कि विभाग द्वारा प्राकृतिक संसाधनों को बचाते हुए रासायनिक जहरों का कम प्रयोग कर किसानों की आय बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने किसानों को बिना रासायनिक जहर वाली सब्जियों की खेती करने की सलाह देते हुए कहा कि आज सब्जियों की सुरक्षित खेती किसानों के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकती है, खासकर छोटे और सीमांत किसान, जो हाथ से खेती करते हैं, अगर वे यहां प्रदर्शित की जा रही तकनीकों को अपने खेतों में अपनाएं तो अपनी आय में काफी वृद्धि कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि किसानों को पारंपरिक फसल चक्र से बाहर निकालने के लिए यह केंद्र काफी फायदेमंद साबित हो रहा है। उन्होंने किसानों से बागवानी फसलों की अधिक से अधिक खेती अपनाने की अपील की और पानी के कुशल उपयोग और पर्यावरण के विषहरण के लिए संयुक्त प्रयास करने को कहा।
सहायक निदेशक बागवानी-कम -कंट्रोल अधिकारी, सीओई, जालंधर और होशियारपुर ने कहा कि केंद्र पूरे पंजाब के इच्छुक किसानों को सब्जियों की सुरक्षित खेती के बारे में प्रशिक्षण प्रदान करता है। इस प्रशिक्षण में पंजाब के 14 जिलों से 40 किसानों ने भाग लिया है।उन्होंने यह भी बताया कि किसान सुरक्षित सब्जी की खेती अपनाकर एक नहर से एक एकड़ के बराबर आय प्राप्त कर सकते हैं।
डा. तेजबीर सिंह, बागवानी विकास अधिकारी- कम- प्रोजेक्ट अधिकारी, सीईवी, करतारपुर ने कहा कि अब तक केंद्र से पंजाब के किसानों को 230.00 लाख से अधिक रोग मुक्त पनीरी की आपूर्ति की जा चुकी है।
डॉ. त्रिपत कुमार बागवानी विकास अधिकारी, सीईवी करतारपुर ने कहा कि किसानों को शुरुआत में एक कनाल या दो कनाल यूनिट से ही काम चलाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण के दौरान किसानों को नई तकनीकों के बारे में व्यावहारिक तरीके से सिखाया जाता है ताकि वे अच्छी तरह से समझ सकें।
इस प्रशिक्षण में बागबानी विभाग के अधिकारी विक्रम वर्मा, डॉ. निखिल अंबीश मेहता, मैडम शैली ने सब्जी उत्पादन, कीड़ों पर व्यापक नियंत्रण, रोग रहित पनीरी तैयार करना, डिप सिंचाई, कटाई उपरांत प्रबंधन आदि विभिन्न विषयों पर जानकारी दी। प्रशिक्षण समापन के दौरान आए हुए किसानों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए।

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