बदलते दौर में युद्ध अब तकनीक के दम पर लड़े जा रहे हैं। आधुनिक तकनीक की बात करें तो आधुनिक तकनीक के इस दौर में ड्रोन को युद्ध का सबसे घातक हथियार बना दिया है। सेना के टैंक को ड्रोन से महफूज बनाने के लिए अब टैंकों पर एंटी ड्रोन सिस्टम लगाने की तैयारी है। रक्षा मंत्रालय ने इस दिशा में पहला कदम उठाया है। यह एंटी ड्रोन सिस्टम भारत के T90 और T72 टैंकों को हवाई हमलों से सुरक्षित भी बनाएंगे। देखिए कैसे काम करते हैं एंटी टैंक ड्रोन सिस्टम। और टैंकों की हिफाजत के लिए जरूरी क्यों है?
आसमान में हजारों फीट की ऊंचाई पर उड़ान और जमीन पर मौजूद टारगेट पर सटीक निशाना। हजारों किलोमीटर दूर मौजूद ऑपरेटर के हाथों में कंट्रोल और एक ही इशारे पर टारगेट नस्त-नाबूद।
बदलते दौर में आधुनिक तकनीक ने इन ड्रोन को जंग का सबसे ताकतवर हथियार बना दिया है। सैटेलाइट सिग्नल इन ड्रोन को हजारों किलोमीटर दूर मौजूद टारगेट तक पहुंचने की राह दिखाते हैं। बड़ी खामोशी से यह ड्रोन दुश्मन के इलाकों में दाखिल हो जाते हैं और फिर इन पर लगे घातक हथियार, दुश्मन के टैंक और बख्तरबंद गाड़ियों को पलक झपकाते ही तबाह कर देते।
रूस और यूक्रेन के बीच जंग में ड्रोन का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया गया। इन ड्रोन से कई बड़े हमले किए गए। कई बार ड्रोन एयर डिफेंस सिस्टम को भी चकमा दे गए। ड्रोन के इन हमलों ने इन आसमानी खतरों से हिफाजत की फिकर भी बढ़ा दी। दुनिया के तमाम देशों ने इन ड्रोन के टेक्नोलॉजी पर तेजी से काम हो रहा है। ऐसे में जरूरत इस बात की भी है कि ड्रोन से अपने हथियारों और टैंकों को महफूज कैसे रखा जाए। भविष्य की इन चुनौतियों को भांपते हुए भारतीय सेना अब अपने टैंकों की हिफाजत की तैयारियों में जुट गई है। रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना के T90 और T72 बैटल टैंक को सुरक्षित रखने के लिए काउंटर एयरक्राफ्ट सिस्टम हासिल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस सिलसिले में मंत्रालय ने रिक्वेस्ट ऑफ इंफॉर्मेशन भी जारी कर दिया है, जिसे किसी भी रक्षा सौदे का पहला पायदान माना जाता है।
टैंकों की हिफाजत करेंगे एंटी ड्रोन सिस्टम
रक्षा मंत्रालय की योजना 75 एंटी ड्रोन सिस्टम खरीदने की है। यह सभी प्लेटफार्म बेस्ड एंटी ड्रोन सिस्टम होंगे। इन्हें भारतीय सेना के T90 और T72 पर फिट किया जाएगा। यह सिस्टम हजारों फीट ऊपर उड़ रहे ड्रोन को पहचान लेगा। टैंक पर लगे एंटी एयरक्राफ्ट गन ड्रोन को नष्ट कर देंगे। जंग के मैदान में टैंक किसी भी सेना के सबसे ताकतवर हथियार होते हैं। दुश्मन की सीमा के करीब पहुंचकर यह कई किलोमीटर दूर से ही दुश्मन के खेमे में खलबली मचा सकते हैं।
भारतीय सेना के बाद फिलहाल 1700 T90 टैंक और दो हज़ार T72 टैंक मौजूद हैं। इन टैंकों को देश की पश्चिमी और उत्तरी सीमा की हिफाजत की जिम्मेदारी सौंपी गई है। लद्दाख जैसे पहाड़ी इलाकों में भी यह टैंक अपनी जिम्मेदारी बाखूबी निभा रहे हैं। कुछ T72 टैंकों को सिक्किम में 15 हज़ार फीट की ऊंचाई पर तैनात किया गया है। यह टैंक जितने ताकतवर होते हैं, इनकी हिफाजत की चुनौतियां भी उतनी ही बड़ी होती हैं। आकार में बड़े होने की वजह से इन टैंकों पर हर वक्त हवाई हमले का खतरा बना रहता है। एसपीवी ड्रोन, स्वॉर्म ड्रोन, कामिकाज़े ड्रोन हजारों फीट की ऊंचाई से इन टैंकों पर घातक वार कर सकते हैं। इस खतरे से बचाव के लिए सेना के टैंकों को एंटी ड्रोन सिस्टम से लैस किया जा रहा है।
सेना इन टैंकों पर ऐसा एंटी ड्रोन सिस्टम लगाने की तैयारी में है, जो हमला करने वाले ड्रोन की रफ्तार और रेंज को भांप ले। यह सिस्टम ऐसा होगा जो मैदानों के साथ साथ पहाड़ी इलाकों और रेगिस्तान में भी बाखूबी काम कर सकेगा। यह एंटी ड्रोन सिस्टम किसी भी हालात में टैंकों को हवाई हमले से सुरक्षित रखने की गारंटी होगा। भारतीय सेना भविष्य की चुनौतियों के लिए खुद को पहले से तैयार रखती है।
टैंकों पर एंटी ड्रोन सिस्टम लगाने की यह योजना इसका प्रमाण है। सेना ने इसके लिए हथियार निर्माता कंपनियों के साथ साथ, आधिकारिक वेंडर और एक्सपोर्ट एजेंसियों से प्रस्ताव मंगाया है। टैंकों के लिए सबसे उपयुक्त एंटी ड्रोन सिस्टम का चयन होने के बाद करीब तीन साल में सेना के टैंकों को इस एंटी ड्रोन सुरक्षा कवच से लैस कर दिया जाएगा।
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