देश में तेजी से बढ़ती क्रिप्टोकरेंसी को लेकर एक अहम मामला सुप्रीम कोर्ट में सामने आया। कोर्ट ने इस पर रेगुलेटरी फ्रेमवर्क (नियम-कानून) बनाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि नियम बनाना हमारा काम नहीं, ये जिम्मेदारी सरकार की है।
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क्या है मामला?
कुछ याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से
अपील की थी कि सरकार को क्रिप्टोकरेंसी के लिए एक रेगुलेटरी सिस्टम तैयार करने का
निर्देश दिया जाए। उनका तर्क था कि देशभर में क्रिप्टो फ्रॉड और ठगी के कई मामले
सामने आ रहे हैं, लेकिन
इन पर कार्रवाई के लिए कोई ठोस कानून नहीं है।
⚖️ कोर्ट ने क्या कहा?
सुनवाई के दौरान जस्टिस बीआर गवई और
जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने कहा,
“हम
कानून नहीं बना सकते, यह
काम नीति निर्माताओं का है। अगर किसी को समस्या है तो वह भारत सरकार को अपनी बात
रख सकता है।”
कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता
चाहें तो सरकार को अपनी शिकायत और सुझाव एक उचित माध्यम से भेज सकते हैं।
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सरकार का क्या रुख है?
पिछले साल केंद्र सरकार ने भी सुप्रीम
कोर्ट को जानकारी दी थी कि
अभी तक क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करने के लिए कोई विशेष तंत्र
(framework) मौजूद
नहीं है। हालांकि, सरकार इस दिशा में कदम उठा रही है और
चर्चा चल रही है कि कैसे इसे सुरक्षित और पारदर्शी बनाया जाए।
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क्रिप्टोकरेंसी क्या है?
क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल करेंसी होती
है जो ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित होती है। इसमें सुरक्षा के लिए क्रिप्टोग्राफी का
इस्तेमाल होता है, जिससे
इसे नकली बनाना या डबल खर्च करना लगभग नामुमकिन हो जाता है।
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि नियम
बनाना न्यायपालिका का नहीं,
कार्यपालिका यानी सरकार का काम है। यानी, अगर आपको लगता है कि क्रिप्टोकरेंसी को
रेगुलेट करने की जरूरत है, तो सरकार
को सुझाव और शिकायत भेजना ही सही रास्ता है।
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